इंदौर (पीटीआई): चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-दिसंबर 2019 के दौरान देश के छह सार्वजनिक बैंकों में वित्तीय कदाचार के ८,९२६ मामले सामने आए, जिससे बैंकों की कुल राशि 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गई।स्टेट बैंक, जो देश का सबसे बड़ा बैंक है, इन अधिकारियों से सबसे अधिक जानकारी प्राप्त की है। यह जानकारी आधिकारिक रूप से सूचना अधिकार कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रिजर्व बैंक से प्राप्त की थी।
पिछले नौ महीनों में, स्टेट बैंक ने ४,७६९ वित्तीय गैरव्यवहारा के मामले दर्ज किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप रु। की ३०,३०० की करोड़ हानि हुई है। यानी अकेले स्टेट बैंक 1.17 लाख करोड़ के कुल नुकसान का लगभग २६ प्रतिशत जिम्मेदार है।
उसके ठीक निचे नीरव मोदी, चोक्सी हिरा व्यापारियों ने पंजाब नॅशनल को डुबो दिया। इस पूरी रिपोर्ट में कुल २९४ मामलों में १४,९२८.६२ करोड़ रुपये अटके पड़े हैं। तो ठीक दूसरी ओर बँक ऑफ बडोदा के कुल २५० मामलों में ११,१६६.१९ करोड़ रुपये गुल हुए।
अलाहाबाद बँके गैरव्यवहार मामलों की संख्या ८६० इतनी बड़ी होकर भी संबंधित रक्कम मात्र ६.७८१.५७ कोटी रुपये इतनी है। उधर बँक ऑफ इंडियाके ६,६२६.१२ कोटी रुपयो का घोटला सिर्फ १६१ मामलों से सिर्फ ९ महीनो में सामने आया है।
युनियन बँक ऑफ इंडियाके २९२ मामलों में ५,६०४.५५ कोटी रुपये, इंडियन ओव्हरसीज बँकेके १५१ मामलों में ५,५५६.६४ कोटी रुपये, और ओरिएंटल बँक ऑफ कॉमर्सके २८२ मामलों में ४,८९९.२७ कोटी रुपयों का बड़ा घपला सामने आया है।
केनरा बैंक, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक सहित अन्य १० बैंकों ने पिछले नौ महीनों में १,८६७ गैरव्यवहार मामले दर्ज किए। इन बैंकों को ३१,६००.७६ करोड़ रुपये की हानि हुई है।
रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदान की गई वित्तीय गैरव्यवहार मामलों की सही प्रकृति स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, यह स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट की गई राशि बैंकों से नुकसान से संबंधित है या नहीं।