नवी दिल्ली – कोरोना वायरस पर मात करनेके लिए दुनियाभर में दवाई और वैक्सीन बनाने के प्रयास जारी हैं। अमेरिकाने वैक्सीन बनाकर उसके परिक्षण की शुरुआत भी कर दी है। लेकिन जापनीस कंपनी टाकेडा फार्मा अलग प्रकार से प्रयास कर रही है। इस कंपनीने ठीक हुए मरीजों की अँटीबॉडीज से दवाई बनाने
का काम शुरू कर दिया है। कोरोना मरीजों पर उपचार करने के लिए यह दवाई बहुत कारगर होगी ऐसा कंपनी का दावा है। ठीक हुए मरीजों से ली गई अँटीबाडीज को कोरोना मरीज के शरीर में डाली जाएंगी। इससे कोरोना मरीज के रोग प्रतिकार शक्ति में काफी सुधार आएगा और पूरी तरह ठीक हो जाएगा ऐसा दवा कंपनी ने किया है।
कसे काम करेगी यह दवाई ?
कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों का शरीर वायरस से दुबारा लड़ने के लिए अँटीबाडीज बना लेता है। जो भविष्य में दुबारा होने पर इसी का इस्तेमाल करके
अपने शरीर को खुदसे ठीक कर सकता है। यही अँटीबॉडीज ठीक उहइ मरीजों के खून में होती हैं इनसे दवाई बनाने के लिए खून से ब्लड प्लाज्मा अलग किया जाता है और उससे अँटीबाडीज निकली जाती है। यही अँटीबाडीज को नए मरीज के शरीर में विशेष उपचार पद्धतीसे इंजेक्ट कर दिया जाता है । इसे मेडिकल भाषा में प्लाझमा डिराइव्ह्ड थेरेपी कहा जाता है।
दवाओं पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने क्या कहा?
जब तक मरीजों का शरीर अपने आप ही अँटीबॉडीज का उत्पादन नहीं करता है, तब तक प्लाझमा डिराइव्ह्ड थेरेपी के माध्यम से शरीर में जारी एंटीबॉडी रोग से लड़ते रहेंगे। जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इमरजेंसी प्लानिंग के प्रमुख माइक रयान ने कहा, “कोरोना ट्रीटमेंट उपचार का यह एक बहुत प्रभावी तरीका है। मरीजों को इस उपचार को समय पर प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, ताकि उनके शरीर की कोरोनों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि हो। हालांकि, ऐसे उपचार हमेशा सफल नहीं होते हैं। इसका ध्यान रखने की जरूरत है। ”
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