इस रविवार 5 अपैल रात 9 बजकर 9 मिनट पर दिए जलाकर सामुहिक शक्ति दिखाइए ऐसा अवाहन देश के पंत प्रधान नरेंद्र मोदीने एक विडिओ द्वारा देश की जनता को दिया।लेकिन इसपर राजनितिक प्रतिक्रियाए आने लगी है। कांग्रेस के जेष्ठ नेता और पूर्व केंद्रिय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने प्रतिक्रिया दि है। उन्होंने कहा हम तो दिए जला लेंगे। लेकिन आप रोग विशेषज्ञ और अर्थतज्ञ क्या कह रहे हैं वो तो जरा सुनले। ऐसे भावनात्मक अवाहन करने वाले पंतप्रधान को चिदंबरम ने प्रतिअवाहन किया है।
हमें लगा आप आज गरीबों के लिए ऐलान करेंगे, वो ऐलान जो अर्थमंञी निर्मला सितारमन अर्थसंकल्प पेश करते समय भूल गयी थी ऐसी अपेक्षा पी . चिदंबरम ने व्यक्त की। प्रतिकवाद जरूरी है लेकिन विचार और उपायों के लिए गंभीर विचार उतनाही जरूरी है। इस प्रकार का तंज भी उन्होंने पंतप्रधान मोदी पर कसा है।
दोनों की गिनती पर लोग निराश हैं।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 3, 2020
प्रतीकवाद महत्वपूर्ण है, लेकिन विचारों और उपायों के लिए गंभीर विचार भी उतना ही महत्वपूर्ण है। @PMOIndia @nsitharamanoffc
पी चिदंबरम के अलावा, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की। थरूर ने कहा कि देश ने आज फिर से शोमैन के बारे में सुना है। उन्होंने लोगों के वित्तीय संकट के बारे में कुछ नहीं कहा। इसने भविष्य के लिए योजनाओं के बारे में कुछ नहीं कहा, साथ ही लॉकडाउन के बाद क्या होगा। थरूर ने कहा कि केवल एक फिलगुड स्थिति बनाई गई ।
Listened to the Pradhan Showman. Nothing about how to ease people’s pain, their burdens, their financial anxieties. No vision of the future or sharing the issues he is weighing in deciding about the post-lockdown. Just a feel-good moment curated by India’s Photo-Op PrimeMinister!
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 3, 2020
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी प्रधानमंत्री के भाषण पर सवाल उठाए हैं। वे अपने ट्वीट में कहते हैं, ‘वायरस के प्रसार को रोकने, विषाणू की जांच करने, गरीबों को भोजन पहुंचाने और गरीबों को वित्तीय सहायता प्रदान करने जैसे मुद्दों पर कुछ भी सुनाने को नहीं मिला ।दीपक एक उद्देश्य के लिए जलाइए, अंधविश्वास के लिए नहीं ।
Modiji
— Kapil Sibal (@KapilSibal) April 3, 2020
Learnt nothing about government’s steps to
1) contain the virus
2) protect our medical practitioners
3) provide testing kits
4) reach food and supplies to the poor
5) finance migrant labour , the jobless
Light the ‘ Diya ‘ of reason
Not that of superstition !